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शेर
हँसना रोना पाना खोना मरना जीना पानी पर
पढ़िए तो क्या क्या लिक्खा है दरिया की पेशानी पर
अखिलेश तिवारी
शेर
मैं शौक़-ए-वस्ल में क्या रेल पर शिताब आया
कि सुब्ह हिन्द में था शाम पंज-आब आया
मर्दान अली खां राना
शेर
है रोज़-ए-पंज-शम्बा तू फ़ातिहा दिला दे
घर तेरे कुश्तगाँ की रूहें न आइयाँ हों