aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "qaafila"
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हाक़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा
हम-सफ़र चाहिए हुजूम नहींइक मुसाफ़िर भी क़ाफ़िला है मुझे
आँख रहज़न नहीं तो फिर क्या हैलूट लेती है क़ाफ़िला दिल का
अजनबी रास्तों पर भटकते रहेआरज़ूओं का इक क़ाफ़िला और मैं
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने काउसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले
हुजूम ऐसा कि राहें नज़र नहीं आतींनसीब ऐसा कि अब तक तो क़ाफ़िला न हुआ
राब्ता लाख सही क़ाफ़िला-सालार के साथहम को चलना है मगर वक़्त की रफ़्तार के साथ
कितना सुनसान है रस्ता दिल काक़ाफ़िला कोई लुटा हो जैसे
आँखों तक आ सकी न कभी आँसुओं की लहरये क़ाफ़िला भी नक़्ल-ए-मकानी में खो गया
राह-ए-दिल को रौंद कर आगे निकल जाएँगे लोगआँख में उठता ग़ुबार-ए-क़ाफ़िला रह जाएगा
अपनी सी ख़ाक उड़ा के बैठ रहेअपना सा क़ाफ़िला बनाते हुए
मोहब्बत ने अकेला कर दिया हैमैं अपनी ज़ात में इक क़ाफ़िला था
बहा है फूट के आँखों से आबला दिल कातरी की राह से जाता है क़ाफ़िला दिल का
सफ़र हो शाह का या क़ाफ़िला फ़क़ीरों काशजर मिज़ाज समझते हैं राहगीरों का
उस एक चेहरे के पीछे हज़ार चेहरे हैंहज़ार चेहरों का वो क़ाफ़िला सा लगता है
बादबाँ नाज़ से लहरा के चली बाद-ए-मुरादकारवाँ ईद मना क़ाफ़िला-सालार आया
रवाँ है क़ाफ़िला-ए-रूह-ए-इलतिफ़ात अभीहमारी राह से हट जाए काएनात अभी
ये हम-सफ़र तो सभी अजनबी से लगते हैंमैं जिस के साथ चला था वो क़ाफ़िला है कहाँ
अब तो एहसास-ए-तमन्ना भी नहींक़ाफ़िला दिल का लुटा हो जैसे
ये कैसा क़ाफ़िला है जिस में सारे लोग तन्हा हैंये किस बर्ज़ख़ में हैं हम सब तुम्हें भी सोचना होगा
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