aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "sabr-o-shukr"
बे तेरे क्या वहशत हम को तुझ बिन कैसा सब्र ओ सुकूँतू ही अपना शहर है जानी तू ही अपना सहरा है
कहाँ से लाऊँ सब्र-ए-हज़रत-ए-अय्यूब ऐ साक़ीख़ुम आएगा सुराही आएगी तब जाम आएगा
सब्र-ओ-क़रार-ए-दिल मिरे जाने कहाँ चले गएबिछड़े हुए न फिर मिले ऐसे हुए जुदा कि बस
जुदाइयों के ज़ख़्म दर्द-ए-ज़िंदगी ने भर दिएतुझे भी नींद आ गई मुझे भी सब्र आ गया
वो मुझ को छोड़ के जिस आदमी के पास गयाबराबरी का भी होता तो सब्र आ जाता
माँगने पर क्या न देगा ताक़त-ए-सब्र-ओ-सुकूनजिस ने बे माँगे अता कर दी परेशानी मुझे
इश्क़ में जी को सब्र ओ ताब कहाँउस से आँखें लड़ीं तो ख़्वाब कहाँ
किसी पे करना नहीं ए'तिबार मेरी तरहलुटा के बैठोगे सब्र ओ क़रार मेरी तरह
सब्र आ जाए इस की क्या उम्मीदमैं वही, दिल वही है तू है वही
न कहो ये कि यार जाता हैमेरा सब्र-ओ-क़रार जाता है
जाने दे सब्र ओ क़रार ओ होश कोतू कहाँ ऐ बे-क़रारी जाएगी
अदा हुआ न कभी मुझ से एक सज्दा-ए-शुक्रमैं किस ज़बाँ से करूँगा शिकायतें तेरी
बिल-एहतिमाम ज़ुल्म की तज्दीद की गईऔर हम को सब्र-ओ-ज़ब्त की ताकीद की गई
हवा-ए-कूफ़ा-ए-ना-मेहरबाँ को हैरत हैकि लोग ख़ेमा-ए-सब्र-ओ-रज़ा में ज़िंदा हैं
ज़माने-भर की दुआएँ मिरे लिए थीं मगरमैं चाहता ही नहीं था कि सब्र आ जाए
सब्र ऐ दिल कि ये हालत नहीं देखी जातीठहर ऐ दर्द कि अब ज़ब्त का यारा न रहा
ले गया छीन के कौन आज तिरा सब्र ओ क़रारबे-क़रारी तुझे ऐ दिल कभी ऐसी तो न थी
माना बुरी ख़बर है प तेरी ख़बर तो हैसब्र-ओ-क़रार नज़्र करूँ नामा-बर को मैं
मैं अपनी माँ के वसीले से ज़िंदा-तर ठहरूँकि वो लहू मिरे सब्र-ओ-रज़ा में रौशन है
होश-ओ-हवास सब्र-ओ-तवाँ सब ही जा चुकेकुछ जान ले कि अब तिरी बारी है ज़िंदगी
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