aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "sahn"
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आआ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
गुलाबी पाँव मिरे चम्पई बनाने कोकिसी ने सहन में मेहंदी की बाड़ उगाई हो
आओ तो मेरे सहन में हो जाए रौशनीमुद्दत गुज़र गई है चराग़ाँ किए हुए
बर्क़ ने मेरा नशेमन न जलाया हो कहींसहन-ए-गुलशन में उजाला है ख़ुदा ख़ैर करे
बरसों से इस में फल नहीं आए तो क्या हुआसाया तो अब भी सहन के कोहना शजर में है
छोड़ कर मुझ को तिरे सहन मैं जा बैठा हैपड़ गई जैसे तिरे साया-ए-दीवार मैं जान
बाद-ए-शाम आए महक उट्ठे मिरा सह्न रियाज़बे-महक झाड़ियों से रात की रानी निकले
पंछी सारे पेड़ से उड़ जाएँगेसहन में इक ख़ामुशी रह जाएगी
ये सहन-ए-अर्ज़-ए-हरम है ब-एहतियात क़दमबहुत क़रीब ख़ुदा है ज़रा सँभल के चलो
शबनम तुम्हारे सहन में रोई तमाम रातलेकिन हर एक फूल का चेहरा निखर गया
ग़ोल के ग़ोल मिरे सहन में आ बैठते हैंये परिंदे मुझे हिजरत नहीं करने देते
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तुजू ही सहीनहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही
हया से सर झुका लेना अदा से मुस्कुरा देनाहसीनों को भी कितना सहल है बिजली गिरा देना
तेरा मिलना ख़ुशी की बात सहीतुझ से मिल कर उदास रहता हूँ
हम से कोई तअल्लुक़-ए-ख़ातिर तो है उसेवो यार बा-वफ़ा न सही बेवफ़ा तो है
झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहींदबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं
दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजे रिश्तादिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए
आँख से दूर सही दिल से कहाँ जाएगाजाने वाले तू हमें याद बहुत आएगा
हम अम्न चाहते हैं मगर ज़ुल्म के ख़िलाफ़गर जंग लाज़मी है तो फिर जंग ही सही
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सहीहो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books