aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "samay"
यही मिलने का समय भी है बिछड़ने का भीमुझ को लगता है बहुत अपने से डर शाम के बाद
देखा न होगा तू ने मगर इंतिज़ार मेंचलते हुए समय को ठहरते हुए भी देख
वो थे जवाब के साहिल पे मुंतज़िर लेकिनसमय की नाव में मेरा सवाल डूब गया
मैं तुझ से मिलने समय से पहले पहुँच गया थासो तेरे घर के क़रीब आ कर भटक रहा हूँ
आज समय का पहिया घूमा पीछे सब कुछ छूट गयाएक सितारा भारत-माता की आँखों का टूट गया
कहीं खो न जाए क़यामत का दिनये अच्छा समय है अभी भेज दे
जाने क्या बरसा था रात चराग़ों सेभोर समय सूरज भी पानी पानी है
ये लोग जा के कटी बोगियों में बैठ गएसमय को रेल की पटरी के साथ चलने दिया
रखो तुम बंद बे-शक अपनी घड़ियाँसमय तो रात दिन चलता रहेगा
बहार अब के जो गुज़री तो फिर न आएगीबिछड़ने वाले बिछड़ते समय ये कह गए हैं
किलास-रूम में इतना समय नहीं होताये सानिहा तुम्हें घर से बना के लाना था
अगर न तोड़ता बैसाखियाँ हमारी समयहम अपने पैरों पे शायद खड़े न हो पाते
आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहींसामान सौ बरस का है पल की ख़बर नहीं
जाते जाते आप इतना काम तो कीजे मिरायाद का सारा सर-ओ-सामाँ जलाते जाइए
अपने सामान को बाँधे हुए इस सोच में हूँजो कहीं के नहीं रहते वो कहाँ जाते हैं
शदीद धूप में सारे दरख़्त सूख गएबस इक दुआ का शजर था जो बे-समर न हुआ
चंद तस्वीर-ए-बुताँ चंद हसीनों के ख़ुतूतबा'द मरने के मिरे घर से ये सामाँ निकला
यूँ बरसती हैं तसव्वुर में पुरानी यादेंजैसे बरसात की रिम-झिम में समाँ होता है
अर्ज़-ओ-समा कहाँ तिरी वुसअत को पा सकेमेरा ही दिल है वो कि जहाँ तू समा सके
ग़म के भरोसे क्या कुछ छोड़ा क्या अब तुम से बयान करेंग़म भी रास आया दिल को और ही कुछ सामान करें
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