aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "saraab"
हम को भी ख़ुश-नुमा नज़र आई है ज़िंदगीजैसे सराब दूर से दरिया दिखाई दे
हस्ती अपनी हबाब की सी हैये नुमाइश सराब की सी है
हम को भरम ने बहर-ए-तवहहुम बना दियादरिया समझ के कूद पड़े हम सराब में
वो सामने हैं मगर तिश्नगी नहीं जातीये क्या सितम है कि दरिया सराब जैसा है
इतनी कुदूरत अश्क में हैराँ हूँ क्या कहूँदरिया में है सराब कि दरिया सराब में
आँख भी अपनी सराब-आलूद हैऔर इस दरिया में पानी भी नहीं
सो मेरी प्यास का दोनों तरफ़ इलाज नहींउधर है एक समुंदर इधर है एक सराब
अब तो सराब ही से बुझाने लगे हैं प्यासलेने लगे हैं काम यक़ीं का गुमाँ से हम
मिज़ाज अलग सही हम दोनों क्यूँ अलग हों कि हैंसराब ओ आब में पोशीदा क़ुर्बतें क्या क्या
मैं तिश्ना था मुझे सर-चश्मा-ए-सराब दियाथके बदन को मिरे पत्थरों में दाब दिया
कुछ नहीं बहर-ए-जहाँ की मौज पर मत भूल 'मीर'दूर से दरिया नज़र आता है लेकिन है सराब
रखता नहीं है दश्त सरोकार आब सेबहलाए जाते हैं यहाँ प्यासे सराब से
जो न कट सका वो निशान था किसी ज़ख़्म काजो न मिल सका वो सराब था कोई ख़्वाब था
बहुत फ़रेब से हम वहशियों को वहशत हैहमारे दश्त में 'नासिख़' कहीं सराब नहीं
दुनिया ने मुँह पे डाला है पर्दा सराब काहोते हैं दौड़ दौड़ के तिश्ना-दहन ख़राब
नहीं है ख़ुश इज़्तिराब में हैमिरा ये दिल भी सराब में है
बिखर के रेत हुए हैं वो ख़्वाब देखे हैंमिरी निगाह ने कितने सराब देखे हैं
क़दम क़दम कोई साया सा मुत्तसिल तो रहेसराब का ये सर-ए-सिलसिला दराज़ तो हो
ये अपना अपना मुक़द्दर है इस को क्या कहिएतुझे सराब तो दरिया बना दिया है मुझे
ये जवाहिर-ख़ाना-ए-दुनिया जो है बा-आब-ओ-ताबअहल-ए-सूरत का है दरिया अहल-ए-मा'नी का सराब
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