aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "taknaa"
बड़े ताबाँ बड़े रौशन सितारे टूट जाते हैंसहर की राह तकना ता सहर आसाँ नहीं होता
दिल से शौक़-ए-रुख़-ए-निकू न गयाझाँकना-ताकना कभू न गया
यूँ जो तकता है आसमान को तूकोई रहता है आसमान में क्या
थकना भी लाज़मी था कुछ काम करते करतेकुछ और थक गया हूँ आराम करते करते
एक लम्हे में बिखर जाता है ताना-बानाऔर फिर उम्र गुज़र जाती है यकजाई में
तुम्हारा नाम आया और हम तकने लगे रस्तातुम्हारी याद आई और खिड़की खोल दी हम ने
हैरत से तकता है सहरा बारिश के नज़राने कोकितनी दूर से आई है ये रेत से हाथ मिलाने को
जब सफ़ीना मौज से टकरा गयानाख़ुदा को भी ख़ुदा याद आ गया
टकरा गया वो मुझ से किताबें लिए हुएफिर मेरा दिल और उस की किताबें बिखर गईं
आली शेर हो या अफ़्साना या चाहत का ताना बानालुत्फ़ अधूरा रह जाता है पूरी बात बता देने से
छत की कड़ियों से उतरते हैं मिरे ख़्वाब मगरमेरी दीवारों से टकरा के बिखर जाते हैं
उस ने आहिस्ता से जब पुकारा मुझेझुक के तकने लगा हर सितारा मुझे
हर वक़्त खिलते फूल की जानिब तका न करमुरझा के पत्तियों को बिखरते हुए भी देख
लाशों में एक लाश मिरी भी न हो कहींतकता हूँ एक एक को चादर उठा के मैं
मिरे डूब जाने का बाइस न पूछोकिनारे से टकरा गया था सफ़ीना
मुँह तका ही करे है जिस तिस काहैरती है ये आईना किस का
मैं तो इतना भी समझने से रहा हों क़ासिरराह तकने के सिवा आँख का मक़्सद क्या है
तअ'ना-ए-नश्शा न दो सब को कि कुछ सोख़्ता-जाँशिद्दत-ए-तिश्ना-लबी से भी बहक जाते हैं
झाँकने ताकने का वक़्त गयाअब वो हम हैं न वो ज़माना है
मेरी ख़ामोशी पे थे जो तअना-ज़नशोर में अपने ही बहरे हो गए
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