aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "vachan"
जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगाकिसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता
वफ़ा करेंगे निबाहेंगे बात मानेंगेतुम्हें भी याद है कुछ ये कलाम किस का था
हम को उन से वफ़ा की है उम्मीदजो नहीं जानते वफ़ा क्या है
अंजाम-ए-वफ़ा ये है जिस ने भी मोहब्बत कीमरने की दुआ माँगी जीने की सज़ा पाई
इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँक्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ
ढूँड उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोतीये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिलें
हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भीकुछ हमारी ख़बर नहीं आती
उल्फ़त में बराबर है वफ़ा हो कि जफ़ा होहर बात में लज़्ज़त है अगर दिल में मज़ा हो
दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़तमेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी
तिरे आज़ाद बंदों की न ये दुनिया न वो दुनियायहाँ मरने की पाबंदी वहाँ जीने की पाबंदी
इक बार उस ने मुझ को देखा था मुस्कुरा करइतनी तो है हक़ीक़त बाक़ी कहानियाँ हैं
वफ़ा तुझ से ऐ बेवफ़ा चाहता हूँमिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ
वफ़ा जिस से की बेवफ़ा हो गयाजिसे बुत बनाया ख़ुदा हो गया
वतन की फ़िक्र कर नादाँ मुसीबत आने वाली हैतिरी बर्बादियों के मशवरे हैं आसमानों में
वफ़ा तुम से करेंगे दुख सहेंगे नाज़ उठाएँगेजिसे आता है दिल देना उसे हर काम आता है
क्यूँ पशेमाँ हो अगर वअ'दा वफ़ा हो न सकाकहीं वादे भी निभाने के लिए होते हैं
लहू वतन के शहीदों का रंग लाया हैउछल रहा है ज़माने में नाम-ए-आज़ादी
वफ़ा की कौन सी मंज़िल पे उस ने छोड़ा थाकि वो तो याद हमें भूल कर भी आता है
एक औरत से वफ़ा करने का ये तोहफ़ा मिलाजाने कितनी औरतों की बद-दुआएँ साथ हैं
अब कौन मुंतज़िर है हमारे लिए वहाँशाम आ गई है लौट के घर जाएँ हम तो क्या
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