aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "yaksaa.n"
इन में क्या फ़र्क़ है अब इस का भी एहसास नहींदर्द और दिल का ज़रा देखिए यकसाँ होना
है इस अंजुमन में यकसाँ अदम ओ वजूद मेराकि जो मैं यहाँ न होता यही कारोबार होता
वही साक़ी वही साग़र वही शीशा वही बादामगर लाज़िम नहीं हर एक पर यकसाँ असर होना
यकसाँ हैं फ़िराक़-ए-वस्ल दोनोंये मरहले एक से कड़े हैं
मुझ को न सुना ख़िज़्र ओ सिकंदर के फ़सानेमेरे लिए यकसाँ है फ़ना हो कि बक़ा हो
हर इक इंसान के आमाल भी यकसाँ नहीं होतेकोई घर तोड़ देता है कोई तामीर करता है
यकसाँ कभी किसी की न गुज़री ज़माने मेंयादश-ब-ख़ैर बैठे थे कल आशियाने में
ज़माने का चलन यकसाँ नहीं कुछकहीं कुछ है कहीं कुछ है कहीं कुछ
पूछने वालों को क्या कहिए कि धोके में नहींकुफ़्र ओ इस्लाम हक़ीक़त में हैं यकसाँ हम को
मुझ से भी राहगीर से भी राह यार कोयकसाँ है दोनों पाँव तले ख़ैर-ओ-शर की राह
बात जब है कि हर इक फूल को यकसाँ समझोसब का आमेज़ा वही आब वही गिल भी वही
यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहींमुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे
न कोई वा'दा न कोई यक़ीं न कोई उमीदमगर हमें तो तिरा इंतिज़ार करना था
आरज़ू है कि तू यहाँ आएऔर फिर उम्र भर न जाए कहीं
कभी यक-ब-यक तवज्जोह कभी दफ़अतन तग़ाफ़ुलमुझे आज़मा रहा है कोई रुख़ बदल बदल कर
इसी लिए तो यहाँ अब भी अजनबी हूँ मैंतमाम लोग फ़रिश्ते हैं आदमी हूँ मैं
कौन आएगा यहाँ कोई न आया होगामेरा दरवाज़ा हवाओं ने हिलाया होगा
यहाँ किसी को भी कुछ हस्ब-ए-आरज़ू न मिलाकिसी को हम न मिले और हम को तू न मिला
सो देख कर तिरे रुख़्सार ओ लब यक़ीं आयाकि फूल खिलते हैं गुलज़ार के अलावा भी
तुम से पहले वो जो इक शख़्स यहाँ तख़्त-नशीं थाउस को भी अपने ख़ुदा होने पे इतना ही यक़ीं था
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