aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "zarb-e-misl"
नज़र तो फेर मिरे काग़ज़ी बदन की तरफ़अभी ये ज़र्ब-ए-मुसलसल से तार-तार नहीं
आओ मिल बैठ कर हँसें बोलेंनहीं मालूम कब जुदा हो जाएँ
गेसू ओ रुख़्सार की बातें करेंआओ मिल कर प्यार की बातें करें
आख़िरी दीद है आओ मिल लेंरंज बे-कार है क्या होना है
मिन्नत-ओ-आजिज़ी ओ ज़ारी-ओ-आहतेरे आगे हज़ार कर देखा
ज़रा देखो ये सरकश ज़र्रा-ए-ख़ाकफ़लक का चाँद बनता जा रहा है
देख ले ज़रा आ कर आँसुओं के आईनेमैं सजा के पलकों पर तेरा प्यार लाया हूँ
आओ मिल जाओ कि ये वक़्त न पाओगे कभीमैं भी हम-राह ज़माने के बदल जाऊँगा
कोई ख़याल कोई याद कोई तो एहसासमिला दे आज ज़रा आ के हम को ख़ुद हम से
उन की तरफ़ भी देखो ज़रा ऐ गदा-नवाज़दामन ही तेरे सामने फैला के रह गए
ख़ार-ज़ार-ए-इश्क़ को क्या हो गयापाँव में काँटे चुभोता ही नहीं
गले लगाएँगे चूमेंगे भी मगर पहलेहम उस को देख के ज़ार-ओ-क़तार रोएँगे
मंज़िल जिसे समझते थे यारान-ए-क़ाफ़िलापहुँचे जो उस जगह तो फ़क़त संग-ए-मील था
मैं संग-ए-मील था तो ये करना पड़ा मुझेता-उम्र रास्ते में ठहरना पड़ा मुझे
गहवारा-ए-सफ़र में खुली है हमारी आँखता'मीर अपने घर की हुई संग-ए-मील से
कीजिए ऐसा जहाँ पैदा जहाँ कोई न होज़र्रा-ओ-अख़तर ज़मीन-ओ-आसमाँ कोई न हो
कुछ न बन आएगी जब लूट मचाएगी ख़िज़ाँग़ुंचा हर-चंद गिरह कस के ज़र-ए-गुल बाँधे
अब आओ मिल के सो रहें तकरार हो चुकीआँखों में नींद भी है बहुत रात कम भी है
करें तस्ख़ीर आओ मिल के हम तुम दोनों आलम कोइधर जादू-निगाही है उधर जादू-बयानी है
ज़रा ऐ जोश-ए-ग़म रहने दे क़ाबू में ज़बाँ मेरीवो सुनना चाहते हैं ख़ुद मुझी से दास्ताँ मेरी
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