aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "zaruurii"
ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहेनींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो
आशिक़ी में बहुत ज़रूरी हैबेवफ़ाई कभी कभी करना
थके-हारे परिंदे जब बसेरे के लिए लौटेंसलीक़ा-मंद शाख़ों का लचक जाना ज़रूरी है
नींद तो दर्द के बिस्तर पे भी आ सकती हैउन की आग़ोश में सर हो ये ज़रूरी तो नहीं
अब रात की दीवार को ढाना है ज़रूरीये काम मगर मुझ से अकेले नहीं होगा
नज़र में दूर तलक रहगुज़र ज़रूरी हैकिसी भी सम्त हो लेकिन सफ़र ज़रूरी है
हज़ार रंग में मुमकिन है दर्द का इज़हारतिरे फ़िराक़ में मरना ही क्या ज़रूरी है
जान-ए-तन्हा पे गुज़र जाएँ हज़ारों सदमेआँख से अश्क रवाँ हों ये ज़रूरी तो नहीं
ज़रूरी चीज़ है इक तजरबा भी ज़िंदगानी मेंतुझे ये डिग्रियाँ बूढ़ों का हम-सिन कर नहीं सकतीं
उसूलों पर जहाँ आँच आए टकराना ज़रूरी हैजो ज़िंदा हो तो फिर ज़िंदा नज़र आना ज़रूरी है
इश्क़ में ये मजबूरी तो हो जाती हैदुनिया ग़ैर-ज़रूरी तो हो जाती है
हर शब-ए-ग़म की सहर हो ये ज़रूरी है मगरसब की ताबिंदा सहर हो ये ज़रूरी तो नहीं
मेरे नालों में असर हो ये ज़रूरी तो नहींहर शब-ए-ग़म की सहर हो ये ज़रूरी तो नहीं
तिरा निज़ाम है सिल दे ज़बान-ए-शायर कोये एहतियात ज़रूरी है इस बहर के लिए
ज़रूरी क्या हर इक महफ़िल में बैठेंतकल्लुफ़ की रवा-दारी से बचिए
ये हुनर भी बड़ा ज़रूरी हैकितना झुक कर किसे सलाम करो
ज़िंदगी तू ने तो सच है कि वफ़ा हम से न कीहम मगर ख़ुद तुझे ठुकराएँ ज़रूरी तो नहीं
पी लिया करते हैं जीने की तमन्ना में कभीलड़खड़ाना भी ज़रूरी है सँभलने के लिए
जिस को ख़ुश रहने के सामान मयस्सर सब होंउस को ख़ुश रहना भी आए ये ज़रूरी तो नहीं
मिरे अंदर कई एहसास पत्थर हो रहे हैंये शीराज़ा बिखरना अब ज़रूरी हो गया है
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