aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ہزار"
हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उट्ठेंवो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँरोएँगे हम हज़ार बार कोई हमें सताए क्यूँ
हज़ार शम्अ फ़रोज़ाँ हो रौशनी के लिएनज़र नहीं तो अंधेरा है आदमी के लिए
हज़ार बार जो माँगा करो तो क्या हासिलदुआ वही है जो दिल से कभी निकलती है
तुम सलामत रहो हज़ार बरसहर बरस के हों दिन पचास हज़ार
हज़ार रुख़ तिरे मिलने के हैं न मिलने मेंकिसे फ़िराक़ कहूँ और किसे विसाल कहूँ
हज़ार तरह के सदमे उठाने वाले लोगन जाने क्या हुआ इक आन में बिखर से गए
हज़ार चेहरे हैं मौजूद आदमी ग़ाएबये किस ख़राबे में दुनिया ने ला के छोड़ दिया
गो अपने हज़ार नाम रख लूँपर अपने सिवा मैं और क्या हूँ
हज़ार रंग में मुमकिन है दर्द का इज़हारतिरे फ़िराक़ में मरना ही क्या ज़रूरी है
निकाले गए इस के मअ'नी हज़ारअजब चीज़ थी इक मिरी ख़ामुशी
हज़ार तल्ख़ हों यादें मगर वो जब भी मिलेज़बाँ पे अच्छे दिनों का ही ज़ाइक़ा रखना
अजीब शय है तसव्वुर की कार-फ़रमाईहज़ार महफ़िल-ए-रंगीं शरीक-ए-तन्हाई
हज़ार मर्तबा बेहतर है बादशाही सेअगर नसीब तिरे कूचे की गदाई हो
मैं उस के वादे का अब भी यक़ीन करता हूँहज़ार बार जिसे आज़मा लिया मैं ने
हज़ार कोस निगाहों से दिल की मंज़िल तककोई क़रीब से देखे तो हम को पहचाने
इधर उधर के सुनाए हज़ार अफ़्सानेदिलों की बात सुनाने का हौसला न हुआ
जाना पड़ा रक़ीब के दर पर हज़ार बारऐ काश जानता न तिरे रह-गुज़र को मैं
हज़ार तरह की मय पी हज़ार तरह के ज़हरन प्यास ही बुझी अपनी न हौसला निकला
हज़ार तरह के थे रंज पिछले मौसम मेंपर इतना था कि कोई साथ रोने वाला था
Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi
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