aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "صحرا"
मैं वो सहरा जिसे पानी की हवस ले डूबीतू वो बादल जो कभी टूट के बरसा ही नहीं
बहार आए तो मेरा सलाम कह देनामुझे तो आज तलब कर लिया है सहरा ने
हैरत से तकता है सहरा बारिश के नज़राने कोकितनी दूर से आई है ये रेत से हाथ मिलाने को
लड़कियाँ माओं जैसे मुक़द्दर क्यूँ रखती हैंतन सहरा और आँख समुंदर क्यूँ रखती हैं
सहरा को बहुत नाज़ है वीरानी पे अपनीवाक़िफ़ नहीं शायद मिरे उजड़े हुए घर से
चमन में रहने वालों से तो हम सहरा-नशीं अच्छेबहार आ के चली जाती है वीरानी नहीं जाती
सहरा से हो के बाग़ में आया हूँ सैर कोहाथों में फूल हैं मिरे पाँव में रेत है
हमें रंजिश नहीं दरिया से कोईसलामत गर रहे सहरा हमारा
न पूछ हाल मिरा चोब-ए-ख़ुश्क-ए-सहरा हूँलगा के आग मुझे कारवाँ रवाना हुआ
राब्ता क्यूँ रखूँ मैं दरिया सेप्यास बुझती है मेरी सहरा से
कूचे को तेरे छोड़ कर जोगी ही बन जाएँ मगरजंगल तिरे पर्बत तिरे बस्ती तिरी सहरा तिरा
दिल के दो हिस्से जो कर डाले थे हुस्न-ओ-इश्क़ नेएक सहरा बन गया और एक गुलशन हो गया
यही फ़साना रहा है जुनूँ के सहरा मेंकभी फ़िराक़ के क़िस्से कभी विसाल की बात
मेरे माथे पे उभर आते थे वहशत के नुक़ूशमेरी मिट्टी किसी सहरा से उठाई गई थी
मैं था जब कारवाँ के साथ तो गुलज़ार थी दुनियामगर तन्हा हुआ तो हर तरफ़ सहरा ही सहरा था
कुछ तलब में भी इज़ाफ़ा करती हैं महरूमियाँप्यास का एहसास बढ़ जाता है सहरा देख कर
घर में दस हों तो ये रौनक़ नहीं होगी घर मेंएक दीवाने से आबाद है सहरा कैसा
तिरे एहसास में डूबा हुआ मैंकभी सहरा कभी दरिया हुआ मैं
वो जो इक शर्त थी वहशत की उठा दी गई क्यामेरी बस्ती किसी सहरा में बसा दी गई क्या
जहाँ तलक भी ये सहरा दिखाई देता हैमिरी तरह से अकेला दिखाई देता है
Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi
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