aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "कमाई"
ख़ुद को भूला हूँ उस को भूला हूँउम्र भर की यही कमाई है
ज़िंदगी भर की थे कमाई तुमइस से ज़्यादा ज़कात कौन करे
दिल ने जो उम्र-भर कमाई हैवो दुखन दिल से जाएगी कब तक
पल क़यामत के सूद-ख़्वार हैं 'जौन'ये अबद की कमाई करते हैं
दौलत-ए-दहर सब लुटाई हैमैं ने दिल की कमाई खाई है
जिस अहद में लुट जाए फ़क़ीरों की कमाईउस अहद के सुल्तान से कुछ भूल हुई है
वो क्यूँ कहेंगे कि दोनों में अम्न हो जाएहमारी जंग से जिन की कमाई जारी है
इश्क़ के कारोबार में हम नेजान दे कर बड़ी कमाई की
चाँद रातों में हमें डसता है दिन में सूरजशर्म आती है अँधेरों से कमाई लेते
चोर अपने घरों में तो नहीं नक़्ब लगातेअपनी ही कमाई को तो लूटा नहीं जाता
वहशत-ए-दिल सिला-ए-आबला-पाई ले लेमुझ से या-रब मिरे लफ़्ज़ों की कमाई ले ले
ज़िंदगी भर की कमाई यही मिसरे दो-चारइस कमाई पे तो इज़्ज़त नहीं मिलने वाली
मिरी पहली कमाई है मोहब्बतमोहब्बत जो तुम्हें मैं दे चुका हूँ
फ़िराक़ में भी उदासी बड़े कमाल की थीपस-ए-विसाल तो इस से सिवा उदासी है
कई लम्हे चुरा कर रख लिए तू ने अलग मुझ सेतू मुझ को ज़िंदगी-भर की कमाई क्यूँ नहीं देता
अपने माँ-बाप को कांधा भी नहीं दे पायाजो ये कहता था उन्हें सारी कमाई दूँगा
कैसी नेक कमाई थी!पैसा पैसा डूब गया
सफ़ाई थी सच्चाई थी पसीने की कमाई थीहमारे पास ऐसी ही कई कमियाँ रहीं बाबा
उम्र भर की बात बिगड़ी इक ज़रा सी बात मेंएक लम्हा ज़िंदगी भर की कमाई खा गया
रात भर जाग के हम ने जो कमाई की हैउस से तो दिन के ख़सारे भी नहीं निकलेंगे
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