aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "बीमार"
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिएआप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए
अफ़्सुर्दा हूँ इबरत से दवा की नहीं हाजतग़म का मुझे ये ज़ोफ़ है बीमार नहीं हूँ
उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है
पड़िए गर बीमार तो कोई न हो तीमारदारऔर अगर मर जाइए तो नौहा-ख़्वाँ कोई न हो
आज ग़फ़लत भी उन आँखों में है पहले से सिवाआज ही ख़ातिर-ए-बीमार शकेबा भी नहीं
आप थे जिस के चारा-गर वो जवाँसख़्त बीमार है दुआ कीजे
बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिएमैं पीना चाहता हूँ पिला देनी चाहिए
इस रेंगती हयात का कब तक उठाएँ बारबीमार अब उलझने लगे हैं तबीब से
दम-ए-आख़िर मुदावा-ए-दिल-ए-बीमार क्या मअ'नीमुझे छोड़ो कि मुझ को नींद सी मालूम होती है
किसी दिन मेरी रुस्वाई का ये कारन न बन जाएतुम्हारा शहर से जाना मिरा बीमार हो जाना
देखिए जिस को उसे धुन है मसीहाई कीआज कल शहर के बीमार मतब करते हैं
तुझ को भी ज़ोम सा रहता था मसीहाई काऔर हम भी तिरे बीमार हुआ करते थे
कौन आएगा भला मेरी अयादत के लिएबस इसी ख़ौफ़ से बीमार नहीं होता मैं
जिन जिन को था ये इश्क़ का आज़ार मर गएअक्सर हमारे साथ के बीमार मर गए
चाँदनी रात मोहब्बत में हसीं थी 'फ़ाकिर'अब तो बीमार उजालों पे हँसी आती है
तिरे आने से कोई होश रहे या न रहेअब तलक तो तिरे बीमार का हाल अच्छा है
इस दौर में ज़िंदगी बशर कीबीमार की रात हो गई है
ऐ इश्क़-ए-मिज़ा कौन हमें देखने आताआँखों में खटकते थे वो बीमार हमीं थे
इतना बीमार कि साँसों से धुआँ उठता हैआ तुझे देख लूँ और देख के अच्छा हो जाऊँ
चारासाज़ों की अज़िय्यत नहीं देखी जातीतेरे बीमार की हालत नहीं देखी जाती
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