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ग़ज़ल
अनवर मिर्ज़ापुरी
ग़ज़ल
मिरे दिल कूँ किया बे-ख़ुद तिरी अँखियाँ ने आख़िर कूँ
कि ज्यूँ बेहोश करती है शराब आहिस्ता-आहिस्ता
वली दकनी
ग़ज़ल
नूह नारवी
ग़ज़ल
मुँह देखे कि ये बात नहीं सच पूछो तो अब दुनिया में
बेहोश करे हैं परियों को इंसान तुम्हारी सूरत के
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
गोया फ़क़ीर मोहम्मद
ग़ज़ल
'सरमद'-ओ-'मंसूर'-ओ-'शिब्ली' की नज़र से देखिए
होश वाले हैं वही दुनिया में जो बेहोश हैं