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ग़ज़ल
सब ने माना मरने वाला दहशत-गर्द और क़ातिल था
माँ ने फिर भी क़ब्र पे उस की राज-दुलारा लिक्खा था
अहमद सलमान
ग़ज़ल
इश्क़ है किस को याद कि हम तो डरते ही रहते हैं सदा
हुस्न वो जैसा भी है उस की दहशत बहुत ज़्यादा है