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ग़ज़ल
हाँ यही शख़्स गुदाज़ और नाज़ुक होंटों पर मुस्कान लिए
ऐ दिल अपने हाथ लगाते पत्थर का बन जाएगा
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
हमारी आँखों से अश्क टपकें लबों पे मुस्कान दौड़ती हो
जो हम ने पहले कभी न पाया तू अब के ऐसा मलाल दे दे
तैमूर हसन
ग़ज़ल
अनीस अब्र
ग़ज़ल
आँख में तंज़-ओ-रऊनत की चमक बाक़ी रहे
लब पे ये तल्ख़ सी मुस्कान मुबारक हो तुझे