aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "'jamaalii'"
अश्क पीने के लिए ख़ाक उड़ाने के लिएअब मिरे पास ख़ज़ाना है लुटाने के लिए
खाने को तो ज़हर भी खाया जा सकता हैलेकिन उस को फिर समझाया जा सकता है
सफ़र से लौट जाना चाहता हैपरिंदा आशियाना चाहता है
मिरे नसीब का लिक्खा बदल भी सकता थावो चाहता तो मिरे साथ चल भी सकता था
वफ़ादारों पे आफ़त आ रही हैमियाँ ले लो जो क़ीमत आ रही है
लोग कहते हैं कि इस खेल में सर जाते हैंइश्क़ में इतना ख़सारा है तो घर जाते हैं
अगर हमारे ही दिल में ठिकाना चाहिए थातो फिर तुझे ज़रा पहले बताना चाहिए था
कहानी में छोटा सा किरदार हैहमारा मगर एक मेआ'र है
अल्फ़ाज़ नर्म हो गए लहजे बदल गएलगता है ज़ालिमों के इरादे बदल गए
उल्टे सीधे सपने पाले बैठे हैंसब पानी में काँटा डाले बैठे हैं
रिश्तों की दलदल से कैसे निकलेंगेहर साज़िश के पीछे अपने निकलेंगे
फ़राज़-ए-इश्क़ तेरी इंतिहा नहीं हुए हमकिसी पे क़र्ज़ थे लेकिन अदा नहीं हुए हम
थोड़ा सा माहौल बनाना होता हैवर्ना किसी के साथ ज़माना होता है
सब के होते हुए लगता है कि घर ख़ाली हैये तकल्लुफ़ है कि जज़्बात की पामाली है
दिलों के माबैन शक की दीवार हो रही हैतो क्या जुदाई की राह हमवार हो रही है
झूट सच्चाई का हिस्सा हो गयाइक तरह से ये भी अच्छा हो गया
चाहत की लौ को मद्धम कर देता हैडर जाता है मिलना कम कर देता है
यही है नज़ारा तो क्या है नज़ारा न शान-ए-जमाली न शान-ए-जलालीये धुँदला सा परतव ये मस्तूर जल्वा बराबर है हम को तो देखा न देखा
राहें वीरान तो उजड़े हुए कुछ घर होंगेदश्त से बढ़ के मिरे शहर के मंज़र होंगे
इसी दुनिया के इसी दौर के हैंहम तो दिल्ली में भी बिजनौर के हैं
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