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ग़ज़ल
ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तिरे ऊपर निसार
ले तिरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफ़िल में है
बिस्मिल अज़ीमाबादी
ग़ज़ल
जौन एलिया
ग़ज़ल
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
घरों की तर्बियत क्या आ गई टी-वी के हाथों में
कोई बच्चा अब अपने बाप के ऊपर नहीं जाता
वसीम बरेलवी
ग़ज़ल
आज वाँ तेग़ ओ कफ़न बाँधे हुए जाता हूँ मैं
उज़्र मेरे क़त्ल करने में वो अब लावेंगे क्या
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
काँच के पीछे चाँद भी था और काँच के ऊपर काई भी
तीनों थे हम वो भी थे और मैं भी था तन्हाई भी
गुलज़ार
ग़ज़ल
'उज़्र-आफ़रीन-ए-जुर्म-ए-मोहब्बत है हुस्न-ए-दोस्त
महशर में 'उज़्र-ए-ताज़ा न पैदा करे कोई
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
ग़ैरों पे लुत्फ़ हम से अलग हैफ़ है अगर
ये बे-हिजाबियाँ भी हों उज़्र-ए-हया के ब'अद
मौलाना मोहम्मद अली जौहर
ग़ज़ल
अहबाब का शिकवा क्या कीजिए ख़ुद ज़ाहिर ओ बातिन एक नहीं
लब ऊपर ऊपर हँसते हैं दिल अंदर अंदर रोता है
हफ़ीज़ जालंधरी
ग़ज़ल
किस लिए उज़्र-ए-तग़ाफुल किस लिए इल्ज़ाम-ए-इश्क़
आज चर्ख़-ए-तफ़रक़ा-पर्वाज़ की बातें करो