aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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आज हम दार पे खींचे गए जिन बातों परक्या अजब कल वो ज़माने को निसाबों में मिलें
भूले से मुस्कुरा तो दिए थे वो आज 'फ़ैज़'मत पूछ वलवले दिल-ए-ना-कर्दा-कार के
कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आयाबात निकली तो हर इक बात पे रोना आया
हुई इस दौर में मंसूब मुझ से बादा-आशामीफिर आया वो ज़माना जो जहाँ में जाम-ए-जम निकले
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आयाजाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया
मैं अपनी राह में दीवार बन के बैठा हूँअगर वो आया तो किस रास्ते से आएगा
आज तक नज़रों में है वो सोहबत-ए-राज़-ओ-नियाज़अपना जाना याद है तेरा बुलाना याद है
क़फ़स उदास है यारो सबा से कुछ तो कहोकहीं तो बहर-ए-ख़ुदा आज ज़िक्र-ए-यार चले
एक ही हादसा तो है और वो ये कि आज तकबात नहीं कही गई बात नहीं सुनी गई
कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाबआज तुम याद बे-हिसाब आए
दिल धड़कने का सबब याद आयावो तिरी याद थी अब याद आया
वो कहीं भी गया लौटा तो मिरे पास आयाबस यही बात है अच्छी मिरे हरजाई की
तेरे होते हुए आ जाती थी सारी दुनियाआज तन्हा हूँ तो कोई नहीं आने वाला
तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड़ आया थाफिर उस के बा'द मुझे कोई अजनबी न मिला
बस मुझे यूँही इक ख़याल आयासोचती हो तो सोचती हो क्या
जो न आया उसे कोई ज़ंजीर-ए-दरहर सदा पर बुलाती रही रात भर
यूँही मौसम की अदा देख के याद आया हैकिस क़दर जल्द बदल जाते हैं इंसाँ जानाँ
एक लम्हे में सिमट आया है सदियों का सफ़रज़िंदगी तेज़ बहुत तेज़ चली हो जैसे
लो आज हम ने तोड़ दिया रिश्ता-ए-उमीदलो अब कभी गिला न करेंगे किसी से हम
ले गया छीन के कौन आज तिरा सब्र ओ क़रारबे-क़रारी तुझे ऐ दिल कभी ऐसी तो न थी
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