आपकी खोज से संबंधित
परिणाम ",mezU"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम ",mezu"
ग़ज़ल
मेज़ पर नन्हा सा इक काग़ज़ का टुकड़ा छोड़ कर
ज़िंदगी की हर ख़ुशी वो ना-गहानी ले गया
जहाँगीर नायाब
ग़ज़ल
शाम ढले इक लॉन में सारे बैठ के चाय पीते थे
मेज़ हमारा घर का था कुर्सी सरकारी होती थी