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ग़ज़ल
हर पत्ता ना-आसूदा है माहौल-ए-चमन आलूदा है
रह जाएँ लरज़ती शाख़ों पर दो चार गुलाब तो अच्छा हो
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
ग़ज़ल
नहीं मा'लूम किस किस का लहू पानी हुआ होगा
क़यामत है सरिश्क-आलूदा होना तेरी मिज़्गाँ का
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
मुझे अब देख कर अबर-ए-शफ़क़-आलूदा याद आया
कि फ़ुर्क़त में तिरी आतिश बरसती थी गुलिस्ताँ पर
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
ऐ शम्अ बचाना दामन को इस्मत से मोहब्बत अर्ज़ां है
आलूदा-नज़र परवानों के जज़्बात की निय्यत ठीक नहीं
अब्दुल हमीद अदम
ग़ज़ल
तकल्लुफ़ साज़-ए-रुस्वाई है ग़ाफ़िल शर्म-ए-रानाई
दिल-ए-ख़ूँ-गश्ता दर दस्त-ए-हिना-आलूदा उर्यां है
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
ये भी क्या रंग है ऐ नर्गिस-ए-ख़्वाब-आलूदा
शहर में सब तिरे जादू के हैं मारे हुए लोग