आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "آماس"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "آماس"
ग़ज़ल
क्या ग़म है छलक जाए साग़र मिरा ऐ साक़ी
वो ताकना पैमाना आमाज से अफ़्ज़ूँ है
वाजिद अली शाह अख़्तर
ग़ज़ल
न कर मस्तों से काविश हर घड़ी आमान कहता हूँ
ख़लल आ जाएगा ज़ाहिद तिरी इस्मत-पनाही में
मीर मोहम्मदी बेदार
ग़ज़ल
वो तो कहिए मेरा दिल आमाज-गाह-ए-शौक़ है
वर्ना कौन आता है तेरे बे-ख़ता के सामने
उरूज ज़ैदी बदायूनी
ग़ज़ल
छा गईं ज़ुल्फ़ें किसी मुखड़े पे जूँ आकास पूँ
ख़ुद-बख़ुद खाते हैं पेच-ओ-ताब जूँ लैलाब हम