आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "ابا"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "ابا"
ग़ज़ल
अब्बा-जी के बिज़नेस से हर बेटे ने मुँह फेर लिया
कुर्सी की लालच ने कितने लोहारों को मार दिया
खालिद इरफ़ान
ग़ज़ल
मसाइल कुछ भी हों लेकिन मुझे कब फ़िक्र थी कोई
थे वो भी दिन मैं कहता था मिरा अब्बा अभी तक है