आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "ارتباط"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "ارتباط"
ग़ज़ल
अल्लाह अल्लाह ये कमाल और इर्तिबात-ए-हुस्न-ओ-इश्क़
फ़ासले हों लाख दिल से दिल जुदा होता नहीं
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
कहाँ तक इर्तिबात-ए-जान-ओ-जानाँ का तअल्लुक़ है
सँवरते जा रहे हैं वो सँवरता जा रहा हूँ मैं
नुशूर वाहिदी
ग़ज़ल
मोहब्बत इर्तिबात-ए-क़ल्ब से मशरूत होती है
यक़ीन-ओ-रब्त के इबहाम हो जाने से डरता हूँ
अली मुज़म्मिल
ग़ज़ल
रब्त-ए-बाहम था फ़क़त लफ़्ज़-ओ-बयाँ का इर्तिबात
है कोई रस्म-ए-वफ़ा भी दरमियाँ समझा था मैं
पीरज़ादा क़ासीम
ग़ज़ल
सुब्ह-ए-अज़ल है सुब्ह-ए-हुस्न शाम-ए-अबद है दाग़-ए-इश्क़
दिल है मक़ाम-ए-इर्तिबात सिलसिला-ए-दराज़ में
जिगर बरेलवी
ग़ज़ल
यूँ कर रहे हैं मोहब्बत में एहतियात अब के
कि दूर रह के किया उन से इर्तिबात अब के
अहमद मुशर्रफ़ ख़ावर
ग़ज़ल
जिस से वफ़ा की थी उमीद उस ने अदा किया ये हक़
औरों से इर्तिबात की और मुझे दिया क़लक़
सेहर इश्क़ाबादी
ग़ज़ल
इर्तिबात-ए-चश्म-ओ-लब का भी कोई सामाँ तो हो
वर्ना उस ख़ाल-ए-सियह की दिलकशी किस काम की
सय्यद अमीन अशरफ़
ग़ज़ल
ख़ुशियाँ मनाएँ ग़ैर न इस इर्तिबात पर
मुझ से भी था कभी बुत-ए-पैमाँ-शिकन से रब्त