आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "ارتکاز"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "ارتکاز"
ग़ज़ल
लाख अब दुनिया मनाए उस का जश्न-ए-इर्तिकाज़
वो तो रेज़ा रेज़ा सारे दोस्तों में बट गया
मुश्ताक़ आज़र फ़रीदी
ग़ज़ल
इर्तिकाज़-ए-तवज्जोह से कब होते हैं मो'जिज़े
हब्स-ए-दम ही तो हुस्न-ए-तसव्वुफ़ नहीं या-अख़ी