आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "بصر"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "بصر"
ग़ज़ल
तू कफ़-ए-ख़ाक ओ बे-बसर मैं कफ़-ए-ख़ाक ओ ख़ुद-निगर
किश्त-ए-वजूद के लिए आब-ए-रवाँ है तू कि मैं
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
मैं किस की निगाहों का हूँ वहशी कि मिरी ख़ाक
इक कोहल-ए-बसर चश्म-ए-ग़ज़ालाँ के लिए है
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
ग़ज़ल
डरे क्यूँ मेरा क़ातिल क्या रहेगा उस की गर्दन पर
वो ख़ूँ जो चश्म-ए-तर से उम्र भर यूँ दम-ब-दम निकले
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
है सफ़र में कारवान-बहर-ओ-बर किस के लिए
हो रहा है एहतिमाम-ए-ख़ुश्क-ओ-तर किस के लिए
मोहम्मद ख़ालिद
ग़ज़ल
है करम उस का कि हम से बे-बसर के वास्ते
आलम-ए-अम्साल में वो बे-मिसाल आता रहा
अब्बास अली ख़ान बेखुद
ग़ज़ल
जहाँ जो चाहिए वैसी ही वो दिखलाए नैरंगी
बसर आँखों में गोयाई ज़बाँ में दिल में जाँ हो कर