आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "بعد_انفصال"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "بعد_انفصال"
ग़ज़ल
हमारे ख़ूँ-बहा का ग़ैर से दावा है क़ातिल को
ये बाद-ए-इन्फ़िसाल अब और ही झगड़ा निकल आया
मोमिन ख़ाँ मोमिन
ग़ज़ल
बक़ा-तलब थी ज़िंदगी शिफ़ा-तलब था ज़ख़्म-ए-दिल
फ़ना मगर लिखी गई है बाब-ए-इंदिमाल में
अब्दुल अहद साज़
ग़ज़ल
'यासिर' सितम कि नाज़ है इंसाफ़ पर उसे
पूछा मिरा क़ुसूर है जिस ने सज़ा के बाद