आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "بو"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "بو"
ग़ज़ल
जौन एलिया
ग़ज़ल
परेशाँ हो के मेरी ख़ाक आख़िर दिल न बन जाए
जो मुश्किल अब है या रब फिर वही मुश्किल न बन जाए
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
जहाँ दो दिल मिले दुनिया ने काँटे बो दिए अक्सर
यही अपनी कहानी है न तुम समझे न हम समझे