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ग़ज़ल
तार-तार-ए-पैरहन में भर गई है बू-ए-दोस्त
मिस्ल-ए-तस्वीर-ए-निहाली मैं हूँ हम-पहलू-ए-दोस्त
हैदर अली आतिश
ग़ज़ल
हुए रोने से मिरे दीदा-ए-बेदार सफ़ेद
बल्कि अश्कों ने किया रंग-ए-शब-ए-तार सफ़ेद
इमाम बख़्श नासिख़
ग़ज़ल
ऐ शम्-ए-दिल-अफ़रोज़ शब-ए-तार-ए-मोहब्बत
बख़्शे है यही गर्मी-ए-बाज़ार-ए-मोहब्बत
मीर मोहम्मदी बेदार
ग़ज़ल
आह कब लब पर नहीं है दाग़ कब दिल में नहीं
कौन सी शब है कि गर्मी अपनी महफ़िल में नहीं