आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "بہبود"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "بہبود"
ग़ज़ल
फिरता है फ़लक फ़िक्र में गर्दिश में ये सब की
हरगिज़ ये नहीं चाहता बहबूद-ए-ख़लाइक़
ताबाँ अब्दुल हई
ग़ज़ल
घर की बुनियादें दीवारें बाम-ओ-दर थे बाबू जी
सब को बाँध के रखने वाला ख़ास हुनर थे बाबू जी
आलोक श्रीवास्तव
ग़ज़ल
बारूद के बदले हाथों में आ जाए किताब तो अच्छा हो
ऐ काश हमारी आँखों का इक्कीसवाँ ख़्वाब तो अच्छा हो
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
ग़ज़ल
तुम इस रस्ते में क्यूँ बारूद बोए जा रहे हो
किसी दिन इस तरफ़ से ख़ुद गुज़रना पड़ गया तो