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ग़ज़ल
बेचैन दिल है फिर भी चेहरे पे दिलकशी है
मुफ़्लिस की ज़िंदगी में जो कुछ है क़ुदरती है
अहसन इमाम अहसन
ग़ज़ल
फिर भँवर में है सफ़ीना इस लिए बेचैन हूँ
हो गया ज़ाएअ' पसीना इस लिए बेचैन हूँ
राजीव रियाज़ प्रतापगढ़ी
ग़ज़ल
तुझ बिन प्यारा प्यारा मौसम है कितना बेचैन
शाख़ें लर्ज़ां ख़ुशबू हैराँ और हवा बेचैन