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ग़ज़ल
ऐ 'ज़फ़र' कुछ हो सके तो फ़िक्र कर उक़्बा का तू
कर न दुनिया का तरद्दुद कार-ए-दुनिया सहल है
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
शुमार ओ बे-शुमारी के तरद्दुद से गुज़र कर
मआल-ए-इश्क़-ए-वहदत के सिवा क्या रह गया है
इरफ़ान सत्तार
ग़ज़ल
आग़ा अकबराबादी
ग़ज़ल
फ़िक्र ओ तरद्दुद में हर दम क्या घुलते रहना
होगा तो बस वो ही जो कुछ होना होगा
बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन
ग़ज़ल
हर इक मौसम में किश्त-ए-आरज़ू सरसब्ज़ रहती है
तरद्दुद ग़ैर को होगा यहाँ तो चैन करते हैं
लाला माधव राम जौहर
ग़ज़ल
आसी ग़ाज़ीपुरी
ग़ज़ल
तरद्दुद बर्क़-रेज़ों में तुम्हें करने की क्या हाजत
तुम्हें काफ़ी है हँसता देख लेना मुस्कुरा देना
साइल देहलवी
ग़ज़ल
नूह नारवी
ग़ज़ल
वो ज़ुल्फ़-ओ-रू से जग है कुफ़्र-ओ-ईमाँ के तरद्दुद में
दो दिल करने कूँ इक आलम के मेरा शोख़ पक्का है
वली उज़लत
ग़ज़ल
यार है पास पर अब फ़र्त-ए-तरद्दुद के सबब
आ ही रहता है मिरे दिल को मलाल एक न एक