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ग़ज़ल
ये भोग भी एक तपस्या है तुम त्याग के मारे क्या जानो
अपमान रचियता का होगा रचना को अगर ठुकराओगे
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
नदीम गुल्लानी
ग़ज़ल
जिस के कारन त्याग तपस्या और तप को वन-वास मिला
सोच रहा हूँ इक रानी को क्यूँ ऐसा वर याद रहा
कुंवर बेचैन
ग़ज़ल
शब की शब महफ़िल में कोई ख़ुश-कलाम आया तो क्या
त्याग दी जो बज़्म उस में मेरा नाम आया तो क्या
हसन अब्बास रज़ा
ग़ज़ल
ज़बाँ पर त्याग की बातें मगर पैसे के लोभी हैं
हमारी जेब से काग़ज़ क़लम अक्सर निकलता है
सत्याधार सत्या
ग़ज़ल
कड़ी मेहनत है या ये त्याग है या ये तपस्या है
मैं अक्सर सोचती रहती हूँ मेरी ज़िंदगी क्या है
डॉ अंजना सिंह सेंगर
ग़ज़ल
मन में जोत जगाने वाले त्याग गए ये डेरा जोगी
उत्तर दक्खिन पूरब पच्छिम चारों ओर अंधेरा जोगी
बिमल कृष्ण अश्क
ग़ज़ल
राज किसी ने त्याग दिया है और किसी का ध्यान है भंग
मछवारे की बेटी ने हर लिए दिल ऋषियों के शाहों के