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ग़ज़ल
ऐ इश्क़ ये सब दुनिया वाले बे-कार की बातें करते हैं
पायल के ग़मों का इल्म नहीं झंकार की बातें करते हैं
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
गोश ज़द चट-पट ही मरना इश्क़ में अपने हुआ
किस को इस बीमारी-ए-जाँ-काह से फ़ुर्सत हुई
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
हम से बे-बहरा हुई अब जरस-ए-गुल की सदा
वर्ना वाक़िफ़ थे हर इक रंग की झंकार से हम
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
दिल है कि 'नुशूर' इक बाजा है सीने के अंदर तारों का
जब चोट पड़े झंकार उठे जब ठेस लगे थर्रा जाए
नुशूर वाहिदी
ग़ज़ल
मोहब्बत ही न जो समझे वो ज़ालिम प्यार क्या जाने
निकलती दिल के तारों से जो है झंकार क्या जाने