आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "حائل"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "حائل"
ग़ज़ल
जिस पे होता ही नहीं ख़ून-ए-दो-आलम साबित
बढ़ के इक दिन उसी गर्दन में हमाइल हो जाओ
इरफ़ान सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
इस जानिब हम उस जानिब तुम बीच में हाइल एक अलाव
कब तक हम तुम अपने अपने ख़्वाबों को झुलसाएँगे
बशर नवाज़
ग़ज़ल
आदाब-ए-मोहब्बत में भी अजब दो दिल मिलने को राज़ी हैं
लेकिन ये तकल्लुफ़ हाइल है पहला वो इशारा कौन करे
आनंद नारायण मुल्ला
ग़ज़ल
हवा शाख़ों में रुकने और उलझने को है इस लम्हे
गुज़रते बादलों में चाँद हाइल होने वाला है
ज़फ़र इक़बाल
ग़ज़ल
आँसुओं की आब-ए-जू हाइल है वर्ना लाऊँ मैं
मेरी नज़रों का शरर आँखों का ख़स-ख़ाना तिरा
लुत्फ़ुर्रहमान
ग़ज़ल
हुजूम-ए-ग़म से याँ तक सर-निगूनी मुझ को हासिल है
कि तार-ए-दामन ओ तार-ए-नज़र में फ़र्क़ मुश्किल है
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
मैं कल और आज में हाएल कोई नादीदा वक़्फ़ा हूँ
मिरे ख़्वाबों से नापा जा रहा है फ़ासला मेरा