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ग़ज़ल
मैं ने पूछा क्या हुआ वो आप का हुस्न-ओ-शबाब
हँस के बोला वो सनम शान-ए-ख़ुदा थी मैं न था
मीरज़ा अबुल मुज़फ़्फर ज़फ़र
ग़ज़ल
ज़फ़र अदीम
ग़ज़ल
ख़ुद हुस्न-ओ-शबाब उन का क्या कम है रक़ीब अपना
जब देखिए अब वो हैं आईना है शाना है
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
असद रिज़वी
ग़ज़ल
फ़रीद जावेद
ग़ज़ल
अगर ये अस्ल हक़ीक़त के दोनों पहलू हैं
तो हुस्न-ओ-इश्क़ का फिर इम्तियाज़ रहने दे