आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "حلال"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "حلال"
ग़ज़ल
ये जनाब-ए-शैख़ का फ़ल्सफ़ा है अजीब सारे जहान से
जो वहाँ पियो तो हलाल है जो यहाँ पियो तो हराम है
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
ख़ुद मिरा सोज़-ए-जाँ-गुदाज़ छेड़ सका न दिल का साज़
आप की इक निगाह ने साहब-ए-हाल कर दिया
फ़ना निज़ामी कानपुरी
ग़ज़ल
हलाल रिज़्क़ मयस्सर हो क्या उन्हें 'सारिम'
कि जिन परिंदों को चुगना है सिर्फ़ दाना-ए-शब
अरशद जमाल सारिम
ग़ज़ल
अक़्ल गई है सब की खोई क्या ये ख़ल्क़ दिवानी है
आप हलाल मैं होता हूँ इन लोगों को क़ुर्बानी है
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
क़ातिल है किस मज़े से नमक-पाश-ए-ज़ख़्म-ए-दिल
बिस्मिल ज़रा तड़प के नमक तो हलाल कर