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ग़ज़ल
जो तेरी चाह में ख़ाना-ख़राब होता है
जहान-ए-इश्क़ में वो कामयाब होता है
रंगेशवर दयाल सक्सेना सूफ़ी
ग़ज़ल
जो उस बे-रहम पर अपना दिल-ए-ख़ाना-ख़राब आया
गए सब्र-ओ-तहम्मुल होश-ओ-ताक़त इज़्तिराब आया