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ग़ज़ल
हर फ़रेब-ए-ग़म-ए-दुनिया से ख़बर-दार तो है
तेरा दीवाना किसी काम में हुश्यार तो है
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
दिन में जो फिरा करते हैं हुशियार ओ ख़बर-दार
वो मेरी तरह रात को जागे नहीं होते
बासिर सुल्तान काज़मी
ग़ज़ल
ता-देर न हो दिल भी ख़बर-दार-ए-मोहब्बत
इक ये भी है अंदाज़-ए-फ़ुसूँ-कार-ए-मोहब्बत
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
चश्म-ए-बद-दूर बहुत फिरते हैं अग़्यार के साथ
ग़ैरत-ए-इश्क़ से अब तक वो ख़बर-दार नहीं