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ग़ज़ल
होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है
निदा फ़ाज़ली
ग़ज़ल
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
शह-ए-बे-ख़ुदी ने अता किया मुझे अब लिबास-ए-बरहनगी
न ख़िरद की बख़िया-गरी रही न जुनूँ की पर्दा-दरी रही
सिराज औरंगाबादी
ग़ज़ल
न छेड़ ऐ हम-नशीं कैफ़िय्यत-ए-सहबा के अफ़्साने
शराब-ए-बे-ख़ुदी के मुझ को साग़र याद आते हैं
हसरत मोहानी
ग़ज़ल
चश्म-ए-साक़ी से पियो या लब-ए-साग़र से पियो
बे-ख़ुदी आठों पहर हो ये ज़रूरी तो नहीं
ख़ामोश ग़ाज़ीपुरी
ग़ज़ल
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
सितारा क्या मिरी तक़दीर की ख़बर देगा
वो ख़ुद फ़राख़ी-ए-अफ़्लाक में है ख़्वार ओ ज़ुबूँ