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ग़ज़ल
वो कोई 'मीर' हों 'ग़ालिब' हों या 'अनीस'-ओ-'दबीर'
सुख़न-वरी से बड़ा कोई काम क्या करते
रईस सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
शब्बीर एहराम
ग़ज़ल
घबराए क्यूँ न कशमकश-ए-नज़अ' से 'दिलेर'
पहला ये इत्तिफ़ाक़ उसे उम्र भर में है
सय्यद अमीर हसन मारहरवी दिलेर
ग़ज़ल
ज़िक्र-ए-शब-ए-ग़म सुन के 'दिलेर' उन का भी कहना
हम नींद में सुनते नहीं अफ़्साना किसी का
नवाब उमराव बहादूर दिलेर
ग़ज़ल
होता नहीं है ईद को भी ग़म ग़लत 'दिलेर'
यारान-ए-रफ़्तगाँ का बना सोगवार दिल
नवाब उमराव बहादूर दिलेर
ग़ज़ल
हम उन के बस में हैं क़ाबू में थे जो अपनी 'दिलेर'
ये बेबसी न किसी को हो इख़्तियार के बाद
नवाब उमराव बहादूर दिलेर
ग़ज़ल
करते न हम किसी की इताअ'त कभी 'दिलेर'
माशूक़ हम को मिलते अगर ज़ोर-ओ-ज़र के साथ
नवाब उमराव बहादूर दिलेर
ग़ज़ल
होता हूँ 'दिलेर' उन से जो मैं लुत्फ़ का ख़्वाहाँ
वो करते हैं रह रह के सितम और ज़ियादा
नवाब उमराव बहादूर दिलेर
ग़ज़ल
क्या शे'र धूम-धाम के लिखते हैं ऐ 'दिलेर'
आती है हर तरफ़ से सदा वाह वाह की