आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "درا"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "درا"
ग़ज़ल
राहिल हूँ मुसलमान ब-साद-नारा-ए-तकबीर
ये क़ाफ़िला ये बाँग-ए-दरा मेरे लिए है
मौलाना मोहम्मद अली जौहर
ग़ज़ल
अश्क आँखों में हैं होंटों पे बुका से पहले
क़ाफ़िला ग़म का चला बाँग-ए-दरा से पहले
आनंद नारायण मुल्ला
ग़ज़ल
शब की बे-अंत ज़ुल्मत से लड़ सकती है एक नन्ही सी लौ
राह भूले हुओं को है बाँग-ए-दरा रखना रौशन दिया
अमजद इस्लाम अमजद
ग़ज़ल
दश्त-ए-जुनूँ में हो गई मंज़िल-ए-यार बे-सुराग़
क़ाफ़िला किस तरफ़ गया बाँग-ए-दरा को क्या हुआ
अब्दुल मजीद सालिक
ग़ज़ल
बहुत गहरे न हों ओछे सही चरके तो पूरे हैं
ख़ता क़ातिल की क्या है इक दरा तलवार छोटी थी
शाद अज़ीमाबादी
ग़ज़ल
अश्क आँखों में हैं होंटों पे बुका से पहले
क़ाफ़िला-ए-ग़म का चला बाँग-ए-दरा से पहले
आनंद नारायण मुल्ला
ग़ज़ल
ज़ाहिदो विर्द-वज़ाइफ़ से नहीं हासिल-ए-कार
जिस को हो हुस्न-ए-इजाबत वो दुआ और ही है