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ग़ज़ल
साथ रंडी के चले मिर्ज़ा जी किस शान के साथ
दहना बग़लों में दबाए हुए बायाँ सर पर
मोहसिन ख़ान मोहसिन
ग़ज़ल
मोहसिन ख़ान मोहसिन
ग़ज़ल
यहाँ हर शख़्स हर पल हादसा होने से डरता है
खिलौना है जो मिट्टी का फ़ना होने से डरता है
राजेश रेड्डी
ग़ज़ल
किसी दिन ज़िंदगानी में करिश्मा क्यूँ नहीं होता
मैं हर दिन जाग तो जाता हूँ ज़िंदा क्यूँ नहीं होता
राजेश रेड्डी
ग़ज़ल
ज़िंदगी तू ने लहू ले के दिया कुछ भी नहीं
तेरे दामन में मिरे वास्ते क्या कुछ भी नहीं
राजेश रेड्डी
ग़ज़ल
इजाज़त कम थी जीने की मगर मोहलत ज़ियादा थी
हमारे पास मरने के लिए फ़ुर्सत ज़ियादा थी
राजेश रेड्डी
ग़ज़ल
ये जो ज़िंदगी की किताब है ये किताब भी क्या किताब है
कहीं इक हसीन सा ख़्वाब है कहीं जान-लेवा अज़ाब है