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ग़ज़ल
नहीं है ना-उमीद 'इक़बाल' अपनी किश्त-ए-वीराँ से
ज़रा नम हो तो ये मिट्टी बहुत ज़रख़ेज़ है साक़ी
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
मिसाल-ए-आसमाँ है वो मुझे ज़रख़ेज़ करता है
मुझे ज़रख़ेज़ करता है मिसाल-ए-आसमाँ है वो
अनीस अंसारी
ग़ज़ल
कभी ज़रख़ेज़ धरती को भी ख़ातिर में नहीं लाता
कभी बंजर ज़मीं में आस के पौदे लगाता हूँ
अजीत सिंह हसरत
ग़ज़ल
तुम अब्र-ए-करम बन के ज़रा आ के तो देखो
ख़ाक-ए-दिल-ए-बर्बाद भी ज़रख़ेज़ बहुत है
मुग़ीसुद्दीन फ़रीदी
ग़ज़ल
बहुत ज़रख़ेज़ है दिल की ज़मीं मालूम है लेकिन
वफ़ा के बीज इस मिट्टी में फिर बोने से डरता हूँ
काशिफ़ सय्यद
ग़ज़ल
इस लिए हो गई ज़रख़ेज़ जराएम की ज़मीं
मुजरिमों के लिए दुनिया में सज़ा कुछ भी नहीं
शान-ए-हैदर बेबाक अमरोहवी
ग़ज़ल
ज़मीं ज़रख़ेज़ है ये 'मीर' 'ग़ालिब' और 'मोमिन' की
कि जिस में फ़स्ल-ए-ताज़ा अब उगाते हैं ग़ज़ल वाले