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ग़ज़ल
मक़ाम-ए-शौक़ तिरे क़ुदसियों के बस का नहीं
उन्हीं का काम है ये जिन के हौसले हैं ज़ियाद
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
हुई जिन से तवक़्क़ो' ख़स्तगी की दाद पाने की
वो हम से भी ज़ियादा ख़स्ता-ए-तेग़-ए-सितम निकले
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
लबों पे ख़ैर के नारे हैं और कुछ भी नहीं
दिलों में जाग रहा है ज़मीर-ए-इब्न-ए-ज़ियाद
वहीद क़ुरैशी
ग़ज़ल
क्यूँ न वो मुसहफ़-ए-रू जाँ से मुझे होवे ज़ियाद
किस मुसलमाँ को नहीं दीन और ईमान अज़ीज़
मोहम्मद यार ख़ाकसार
ग़ज़ल
गर्मी-ए-बज़्म आज है कुछ हद सेती ज़ियाद
दीवार पीछे कोई न हो दिल जला हुआ