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ग़ज़ल
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ
रोएँगे हम हज़ार बार कोई हमें सताए क्यूँ
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
'मीरा-जी' क्यूँ सोच सताए पलक पलक डोरी लहराए
क़िस्मत जो भी रंग दिखाए अपने दिल में समोना होगा