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ग़ज़ल
दिल में बला का जोश है सर लिए सरफ़रोश है
जीने का होश है कहाँ मरने का उस को डर नहीं
बिस्मिल इलाहाबादी
ग़ज़ल
ये तू नहीं कि वादा-ए-वफ़ा को रौंदता फिरे
ये मैं हूँ सरफ़रोश-ए-दिल जो कह दिया वो हो चुका
साक़िब लखनवी
ग़ज़ल
तू राह-ए-इश्क़ के सदमों से मत डरा वाइ'ज़
जो सरफ़रोश हैं इस रह में उन को डर क्या है