aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "سکندر"
क्या किया ख़िज़्र ने सिकंदर सेअब किसे रहनुमा करे कोई
दारा ओ सिकंदर से वो मर्द-ए-फ़क़ीर औलाहो जिस की फ़क़ीरी में बू-ए-असदुल-लाही
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखाकश्ती के मुसाफ़िर ने समुंदर नहीं देखा
मैं तो मक़्तल में भी क़िस्मत का सिकंदर निकलाक़ुरआ-ए-फ़ाल मिरे नाम का अक्सर निकला
हमारी तिश्ना-नसीबी का हाल मत पूछोवो प्यास थी कि समुंदर में जा के लेट गए
न गोर-ए-सिकंदर न है क़ब्र-ए-दारामिटे नामियों के निशाँ कैसे कैसे
मशहूर हैं सिकंदर ओ जम की निशानियाँऐ 'दाग़' छोड़ जाएँगे हम यादगार दिल
इंसान हूँ धड़कते हुए दिल पे हाथ रखयूँ डूब कर न देख समुंदर नहीं हूँ मैं
आँखों की दहलीज़ पे आ कर बैठ गईतेरी सूरत ख़्वाब सजा कर बैठ गई
پہلے خوددار تو مانند سکندر ہو لے پھر جہاں ميں ہوس شوکت دارائي کر
बयाबानों पे ज़िंदानों पे वीरानों पे क्या गुज़रीजहान-ए-होश में आए तो दीवानों पे क्या गुज़री
साहिब-ए-जाह-ओ-शौकत-ओ-इक़बालइक अज़ाँ जुमला अब सिकंदर था
मैं प्यासा रह के भी मिन्नत नहीं करता किसी कीबहुत ख़ुद्दार हूँ मैं ये समुंदर जानता है
सिकंदर की ख़ातिर भी है सद्द-ए-बाबजो दारा भी हो तो मदारा नहीं
जिन की आँखों में था सुरूर-ए-ग़ज़लउन ग़ज़ालों की याद आती है
मिरा दिल माँगते हैं आरियत अहल-ए-हवस शायदये जाना चाहते हैं आज दावत में समुंदर की
मोजज़े इश्क़ दिखाता है 'सिकंदर'-साहिबचोट तो उस को लगी देखिए चोटिल हुआ मैं
न सिकंदर है न दारा है न क़ैसर है न जमबे-महल ख़ाक में हैं क़स्र बनाने वाले
डाला न दोस्तों को कभी इम्तिहान मेंसहरा में मेरे साथ समुंदर नहीं गया
जिस को भी देखो तिरे दर का पता पूछता हैक़तरा क़तरे से समुंदर का पता पूछता है
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